Thursday, November 19, 2015

पलाश का महत्‍व :- importance of Palash :- Butea Monosperma Spiritual benefit

 इस वृक्ष में ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। पलाश का उपयोग ग्रहों की शान्ति में किया जाता है।

1- जिस जातक को अधिक परिश्रम करने पर भी व्यापार में सफलता नहीं मिल रही हो, तथा लगातार कर्ज की समस्या बढ़ रही हो। वह व्यक्ति शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को पलाश की जड़ लें आयें। इसे स्वच्छ जल से साफ कर लें उसके पश्चात एक कमरे में सुविधानुसार कोई स्थान चुन कर गंगाजल अथवा गोमूत्र से छींटे मारकर स्वच्छ कर लें उसके उपर बाजोट रखकर , बाजोट पर लाल रेशमी कपड़ा विछायें । बाजोट के बीच में 7 प्रकार अनाज लेकर सभी को मिलाकर एक ढेरी बनायें। इस पर पलाश की जड़ रखें तथा इसी पर दीपक जलायें। धूप जलाकर लक्ष्मी जी के किसी भी मन्त्र की 3 या 4 माला का जाप करें। उसके पश्चात अब इस जड़ को एक लाल कपड़े में बांधकर अपने गल्ले या धन रखने के स्थान पर रख दें। मां लक्ष्मी की कृपा से आपकी आर्थिक समस्यायें धीरे- धीरे दूर होकर आर्थिक सम्पन्नता आ जायेगी।

2- पलाश की जड़ को शुभ मुहूर्त में किसी रविवार के दिन में निकाल लें। इसे एक सूती धागे में लपेट कर दाहिनी भुजा में बांधने से किसी भी प्रकार ज्वर दूर हो जाता है।

3- पुत्र सन्तान की प्राप्ति करने वाले जातक यह प्रयोग करेंगे तो लाभ मिलेगा। पलाश का एक ताजा पत्ता 250 ग्राम दूध में उबालकर यदि कोई महिला गर्भधारण के पूर्व से प्रारम्भ कर , गर्भाधारण के दो महीने बाद तक नियमित रूप से सेंवन करती है तो उसे पुत्र सन्तान की प्राप्ति होती है। पत्ते को उबालने के बाद निकालकर फेंक दिया जाता है। केवल दूध का ही सेंवन किया जाता है।

4 जिन व्यक्तियों का सूर्य ग्रह पीडि़त होकर अशुभ फल दे रहा है वे जातक पलाश की लकड़ी से हवन करे या फिर लकड़ी को अभिमन्त्रित करके चांदी के लाकेट में गले में धारण करें।

5 नवग्रहों के कुप्रभाव से बचने के लिये पलाश के पुष्प, गुलाब के पुष्प अथवा चमेली के पुष्प और तुलसी की पत्तियां स्नान जल में डालकर उस जल से स्नान करना लाभकारी सिद्ध होगा। यह प्रयोग लगातार 42 दिन तक करना चाहिए।


Picture of Palash leaf & tree.


वृक्षों-पौधों के स्थान व दिशा :- Location and direction for tree-plants

किस स्थान या दिशा में कौन सा वृक्ष या पौधा लगाना चाहिये, वास्तु इस बारे में विस्तार से कहता है कि –

जासमीन, गुलाब, मेरीगोल्ड, चंपक, मोगरा के पौधे धनात्मक ऊर्जा देते हैं। इन्हें घर के आसपास पूर्व या उत्तर दिशा में अवद्गय लगाना चाहिये।
पूर्व में वट का पेड़ मनोकामना पूर्ण करता है।
तुलसी का पौधा अति शुभ व शक्तिशाली माना जाता है। इसे घर के पूर्व या उतर दिशा में लगाना चाहिये। कम से कम एक तुलसी ईशान कोण में अवद्गय होनी चाहिये।
ईशान में आंवला, आग्नेय में अनार, र्नैत्य में इमली व वायव्य में कैथ के पौधे लगाने शुभ हैं।
छोटे सजावटी पौधे, लॉन, झाडियां आदि उतर या पूर्व दिशा में होने चाहियें।
वाटिका बनाने के लिये पूर्व, ईशान व वायव्य दिशा शुभ रहती है। ईशान कोण की वाटिका में हल्के फूलों वाले पौधे व बेल, औषधीय पौधे जैसे तुलसी व आंवला लगाने चाहियें।
यदि शुक्र के अधीन आने वाले आम का वृक्ष लगाना हो तो इसको आग्नेय कोण में लगाना चाहिये। यदि आग्नेयकोण में कोई दोष हो तो आम का वृक्ष लगाने से दोष का परिहार होता है।
खुशबूदार वृक्ष या पौधे वायव्य कोण में लगाने चाहियें।
पश्चिम में पीपल, उतर में पाकड़ व दक्षिण में गूलर का वृक्ष अति उतम है।
यदि क्रिसमिस व बादाम के वृक्ष लगाने हों तो इनका आकार पिरामिड रूप में होने के कारण इन्हें दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिये।
कुछ अन्य शुभ वृक्ष व पौधे इस प्रकार हैं - पपीता, अमरूद, सेब, गुलमोहर, अद्गाोका, नीम, नारियल, चंदन, अनानास, बादाम, अनार, आंवला व तुलसी। इनमें से हल्के व छोटे पौधे पूर्व व उतर दिशा में लगाये जा सकते हैं तथा बडे़ व भारी पेड़ पद्गिचम व दक्षिण दिशा में लगाने चाहियें।
वृक्षों व पौधों से संबंधित कुछ अन्य वास्तु नियम :-

वृक्षों व पौधों के बारे में कुछ वास्तु के नियम निम्न प्रकार से हैं :-

घर के मुखय द्वार पर बेल नहीं चढानी चाहिये।
घर के मध्य में कोई बडा वृक्ष नहीं लगाना चाहिये।
पूर्व व उतर दिशा में छोटे व हल्के पौधे होने चाहिये।
घर में लगाये गये वृक्षों की कुल संखया सम होनी चाहिये।
मनीप्लांट घर के अंदर लगाना चाहिये क्योंकि ये भाग्यवर्धक हैं।
बडे़ व घने वृक्ष हमेशा दक्षिण व पश्चिम दिशा में ही लगाने चाहिये।
पत्थरों के बुतों से बना उपवन भवन के र्नैत्य कोण में ही होना चाहिये।
भवन के द्वार के बिल्कुल सामने वृक्ष नहीं लगाना चाहिये। इससे द्वार वेध बनता है।
बट व पीपल के वृक्ष पवित्र माने जाते हैं इसलिये इन्हें मंदिर आदि के आसपास लगाना चाहिये।
गुलाब को छोड़कर कोई भी कांटेदार पौधा घर में नहीं लगाना चाहिये अन्यथा शत्रु परेशान कर सकते हैं।
दूधिया पौधों को घर में नहीं लगाना चाहिये क्योंकि ये भवनवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं तथा धन नाद्गा करते हैं।
नींबू और घरोंदा के वृक्षों को भी घर या फैक्टरी में नहीं लगवाना चाहिये।
यदि नींबू के वृक्ष को नहीं हटा सकते तो उसके आस पास तीन तुलसी के पौधे लगा देने चाहियें।
बडे़ व घने वृक्ष भवन के बिल्कुल समीप नहीं लगाने चाहिये क्योंकि उनकी जडे़ं भवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
भवन की दीवारों का सहारा लेकर किसी भी बेल को नहीं लगाना चाहिये। बेल को बाग में ही किसी अन्य सहारे के बढ़ने देना चाहिये।

वृक्षों व पौधों से संबधित कुछ वास्तु सावधानियां :

वास्तु शास्त्रानुसार यदि पीपल भवन की पूर्व दिद्गाा में हो तो घर में भय और निर्धनता व्याप्त हो सकती है। गूलर या नींबू यदि उतर दिशा में होगा तो आंखों की बीमारी हो सकती है। वट पद्गिचम में व पाकड़ का वृक्ष दक्षिण में होना अशुभ है। इसी प्रकार आग्नेय कोण में पीपल, पाकड़ या गूलर का पेड़ हो तो पीड़ादायक व मृत्युतुल्य कष्ट देता है। पश्चिम दिशा में आम या वट वृक्ष होने से मुकद्दमें, औरतों-बच्चों को तकलीफ, चोरी आदि का सामना करना पडता है। पूर्व या उतर दिशा में फलदार वृक्ष होने से संतान पीड़ा व बुद्धि नाद्गा होता है। दक्षिण दिशा में तुलसी होने से कठोर यातना व कारागार हो सकता है।
यदि शुभ वृक्ष पूर्व दिशा में हों तो भी भवन से उनकी उचित दूरी होनी चाहिये क्योंकि वृक्षों की छाया भवन पर सुबह 6 से 11 बजे तक नहीं पड़नी चाहिये। यदि ऐसा होता है तो पूर्व दिशा से आने वाली सूर्य की शुभ किरणों का लाभ नहीं लिया जा सकेगा। सूर्य की सुबह की लाभदायक किरणों को पूर्व दिशा के वृक्षों द्वारा नहीं रोकना चाहिये अन्यथा भवनवासी समृद्ध, भाग्यशाली व शांत नहीं रह सकते। दक्षिण व पश्चिम के वृक्ष भवन को दोपहर बाद की सूर्य की विनाद्गाकारी किरणों से बचाते हैं।
सभी कांटों वाले वृक्ष व पौधे यदि घर में लगाये जायें तो ये परिजनों को चिंता व परेद्गाानी देते हैं। घर में रोग घर कर लेता है तथा मुकददमें में हार होती है। कांटेदार वृक्षों में से कैक्टस सबसे अशुभ है। क्योंकि इन वृक्षों के कोने ऋणात्मक ऊर्जा विसर्जित करते हैं जो भवन में रहने वालों के स्वास्थ्य व विचार शक्ति को प्रभावित कर अद्गाुभ परिणाम लाती है।
जिन वृक्षों या पौधों के पत्तों से दूध जैसा द्रव्य निकलता हो तो ऐसे वृक्षों को भी नहीं लगाना चाहिये क्योंकि ये द्रव्य भी ऋणात्मक ऊर्जा के बहुत बडे स्रोत कहलाते हैं।
यदि किसी फलहीन वृक्ष की छाया भवन पर पडती है तो विभिन्न रोगों का सामना करना पडता है तथा अनेक विपदायें भी परेशान करती रहती हैं।
वृक्षारोपण का भी एक उचित समय होता है। इन्हें शुभ नक्षत्रों व तिथियों में ही लगाना चाहिये। शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक का समय वृक्षारोपण के लिये शुभ रहता है। पौधों को पहले मिटटी के गमलों में व फिर जमीन में लगाना चाहिये। ऐसा करने से उनका विकास अच्छा रहता है।
गृह के समीप यदि कांटेदार, दूध वाले आदि हानिकारक वृक्षों को निकालना संभव न हो तो इनके बीच शुभ वृक्ष जैसे अशोक, नागकेसर, शमी आदि लगाने से दोष का निवारण हो जाता है। यदि किसी भी कारण से किसी वृक्ष को निकालना आवद्गयक हो जाता है तो उसे माघ या भाद्रपद माह में ही निकालना चाहिये। काटने से पहले वृक्ष की पूजा करनी चाहिये और क्षमा मांगनी चाहिये कि वृक्ष को जड़ से निकाला जा रहा है। साथ ही एक वृक्ष निकालने के स्थान पर एक नया वृक्ष लगाने का संकल्प लेना चाहिये। ऐसा तीन माह के भीतर कर देना चाहिये। वृक्ष काटने के समय वृक्ष को पूर्व या उतर दिशा में ही गिरना चाहिये न कि पद्गिचम या दक्षिण दिशा में।

पीपल को जल देने से लाभ Benefits of Watering Ficus religiosa or sacred fig

पीपल को जल सींचने से दरिद्रता दूर होती है, पुण्यलाभ होता है हरा पीपल कभी काटना नहीं चाहिए, पाप होता है पीपल का पेड़ लगाना पुण्यदायी है घर के पश्चिम की ओर पीपल का पेड़ हो तो घर की हवा शुद्ध रहेगी और घर में आरोग्यता, सुख, शांति रहेगी

घर में झगड़े होते तो एक लोटा पानी लेकर रात को सोते समय पलंग के नीचे रखो और दूसरे दिन सुबह वो पानी घर में छाँटो पीपल को सींच दो.

 अगर घर में किसी की मृत्यु हो गई हो तो रोज 13 दिन तक घर की छत पे एक कटोरी में दूध और एक कटोरी में पानी रख के आयें दूसरे दिन सुबह वो पानी और दूध पीपल के मूल में ड़ाल दें ऐसा 13 दिन करने से जिसकी मृत्यु हुई है उसकी आत्मा को शान्ति मिलती है उनका आशीर्वाद घर वालों को मिलता है

नौकरी में कोई समस्या है तो हर शनिवार को दूध, पानी और गुड मिलाकर पीपल को अर्पण करें अपने आप सब कुछ अच्छा होगा

तुलसी पूजन से दोषों से मुक्ति Worship basil

तुलसी मुख्यतः दो प्रकार की होती है। 1- श्वेत तुलसी, 2- कृष्ण तुलसी। इन्हे क्रमशः राम तुलसी और श्याम तुलसी भी कहते हैं। दोनो प्रकार की तुलसी में केवल वर्ण भेद ही होता है अन्यथा गुणों में समानता होती है। वर्षो पहले से ही घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने की परम्परा प्रचलित है। महिलायें इसकी प्रतिदिन पूजा करके जल अर्पित करती है। घर से निकलने से पूर्व तुलसी के दर्शन करना शुभ माना जाता है। तुलसी का वृक्ष औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना गया है। इनकी पत्तियों में कीटाणु नष्ट करने का एक विशेष गुण है। इसलिये मन्दिरों में चरणोदक जल में तुलसी की पत्तियां तोड़कर डाली जाती है जिससे जल के सारे कीटाणु नष्ट हो जाये और जल शुद्ध हो जाये। 

1-यदि कोई भी व्यक्ति तुलसी की माला से किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का यथा शक्ति 1 से 11 माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है। 

2- जो भी व्यक्ति नित्य सुबह के समय स्नान आदि से निवृत होकर तुलसी के नीचे दीपक जलाकर पूजन करेगा। उस जातक के देवदोष समाप्त हो जायेंगे। 

3- एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें। इन दोनों पौधों पर प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। जो भी व्यक्ति यह प्रयोग नित्य 1 वर्ष तक करेगा उसे पितृदोष से मुक्ति मिल जायेगी। तथा उसको ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों की संयुक्त पूजा फल मिलेगा चूंकि विष्णु प्रिया होने के कारण तुलसी विष्णु रूप है तथा काला धतूरा शिव रूप है एंव तुलसी की जड़ो में ब्रहमा का निवास स्थान माना जाता है। 

4- एक छोटा सा चांदी का सर्प बनावाकर। इस सर्प की पूजा जिस दिन चर्तुदशी हो उस दिन स्नान कर तुलसी के पौधे के नीचे, इसे रखकर। इस पर दूध, अक्षत, रोली, आदि लगाकर इसकी पूजा करें। घी का दीपक भी जलायें। जिस समय पूजा करें उस समय साधक का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। भोग अर्पित कर दान भी करें। दीपक जब ठण्डा हो जाये तो उसके बाद चाॅदी के सर्प को पूजा करने वाला व्यक्ति ही उठाकर किसी नदीं में प्रवाहित कर दे। इस प्रकार नित्य 43 दिन तक पूजन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

Monday, November 16, 2015

पुलिस के भय से बचने का उपाय : A way to avoid Police fear

एक लोहे कि गोली को लाल रंग कर के अपने पास सदैव रखे पुलिस से भय नहीं होगा.

Tuesday, November 3, 2015

बोस कैसा भी हो, सीधा हो जाएगा How to control boss


 किसी नालायक, व्यभिचारी भ्रष्ट और बेईमान-बदतमीज बोस से परेशान हैं तो यह टोटका करें। जिस किसी कागज पर अपने ऎसे किसी नालायक बोस के हस्ताक्षर अंकित हों, उसके हस्ताक्षरों को लाल स्याही से इक्कीस से ज्यादा घेरे बनाते हुए यह भावना करें कि बोस रस्सियों से जकड़ा जा रहा है। इसके बाद उस कागज को फोल्ड कर कीचड़ में दबा दें। कुछ ही दिन में इसका असर सामने आ जाएगा।

दीपावली पर लक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के उपाय :- Diwali Lakshmi Devi Pooja Vidhan



 1. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।

2. दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।

3 महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।

4. दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी मंदिर हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।

5. रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।

6 अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।

7 दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए।

8  प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

9 महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:, इस मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करें। दीपावली पर कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करें।

10 लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।

पलाश का महत्‍व :- importance of Palash :- Butea Monosperma Spiritual benefit

 इस वृक्ष में ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। पलाश का उपयोग ग्रहों की शान्ति में किया जाता है। 1- जिस जा...